12 दिसंबर 2022

हनुमान चालीसा | Hanuman Chalisa | Jai Hanuman Gyan Gun Saagar......

 


श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकरु सुधारि
बरनौ रघुवर विमल जसु जो दायक फल चारि |
बुधिहीन तनु जानि के सूमरों पवनकुमार 
बल बुधि विद्या देहु मोहि हरहु क्लेश विकार ||
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर , 
जय कपीस तिहुं लोक उजागर || 1

राम दूत अतुलित बल धामा , 

अंजनी पुत्र पवनसुत नामा ||2

महावीर विक्रम बजरंगी, 

कुमति निवार सुमति के संगी ||3

कंचन वरण विराज सुबेसा, 

कनन कुंडल  कुंचित केसा||4

 हाथ बज्र अरु ध्वजा विराजे, 

कांधे मूंज जनेऊ साजे ||5

शंकर सुवन केसरी  नंदन, 

तेज प्रताप महा जग वंदन ||6

विद्यावान गुनी अति चातुर, 

राम काज करिबे  को आतुर ||7

प्रभु चरित्र सुनवे को रसिया, 

राम लखन सीता मन बसिया8||

 सूक्ष्म रूप धरि  सियहि दिखावा  

विकट रूप धरि लंक जरावा || 9

भीम रूप धरि असुर सम्हारे 

 रामचंद्र के काज संवारे ||10

लाय संजीवन लखन जीआए, 

श्री रघुवीर हरषि उर लाये ||11

रघुपति किंही बहुत बड़ाई, 

तुम  मम प्रिय भरतही सम भाई ||12

सहस बदन तुम्हारो यश गावे, 

अस कही  श्रीपति कंठ  लगावे ||13

सनकादिक ब्रह्मादी मुनीशा, 

नारद सारद सहित अहिसा ||14

यम कुबेर दिकपाल जहां ते 

कवि कोविद कही  सके कहाँ ते 15 

  तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा

 राम मिलाय  राजपद दीन्हा ||16

तुम्हरो  मंत्र विभीषण माना 

लंकेश्वर भए सब जग जाना ||17

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु 

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||18

प्रभु मुद्रिका  मेलि मुख माही, 

जलधि लाँघी गए अचरज नहीं ||19

दुर्गम काज जगत के जेते 

सुगम  अनुग्रह तुम्हरे  तेते  ||20

राम दुआरे तुम रखवारे, 

होत न आज्ञा  बिनु पैसारे ||21

सब सुख लहे तुम्हारी  सरना, 

तुम रक्षक काहू को डरना ||22

 आपन तेज सम्हारो आपै, 

तीनो लोक हांक ते काम्पे ||23

भूत पिशाच निकट नहीं आवे ,

महावीर जब नाम सुनावे,24

 नासे रोग हरे सब पीरा, 

जपत निरंतर  हनुमत बीरा,25

 संकट ते हनुमान छुडावे, 

मन क्रम वचन जो ध्यान लगावे  26

 सब पर राम तपस्वी राजा 

तिनके काज सकल तुम साजा 27

और मनोरथ जो कोई  लावे , 

सोई  अमित जीवन फल पावे 28

 चारों युग परताप  तुम्हारा,

 है  प्रसिद्ध जगत उजियारा  29

 साधु संत के तुम रखवारे 

असुर निकंदन राम दुलारे 30

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता 

अस  बर दीन जानकी माता  31

 राम रसायन तुम्हरे  पासा 

सदा रहू  रघुपति के दासा 32

तुम्हरे  भजन राम को पावै,

जनम जनम के दुख बिसरावे 33

अंत काल रघुबर पुर जाई 

जहां जन्म हरी भक्त कहाई  34

और देवता चित्त ना धरई 

हनुमत सेई सर्व सुख करई 35

संकट कटे मिटे सब पीरा

 जो सुमिरे हनुमत बलबीरा 36

जय जय जय हनुमान गोसाई 

कृपा करहु  गुरुदेव की नाई  37

 जो सत बार पाठ कर कोई

छुटहि बंदी महा सुख होई 38

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा ,

होय सिद्धि साखी गौरीसा 39

तुलसीदास सदा हरी चेरा 

कीजै नाथ हृदय महं डेरा 40

पवन तनय संकट हरण मंगल मूर्ति रुप 

राम लखन सीता सहित हृदय बसहू सुर भूप






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